चमार का इतिहास क्या है – इनका जनक कौन है – इनके रीती रिवाज क्या है
Chamaro Ka Itihas Kya Hai? आप सभी जानते ही होंगे की हमारे भारत में कई समुदाय तथा जाती है जिसमे से एक चमार सममुदाय भी है जो की पुरे भारत में फेला हुआ है, आधुनिक भारत में जतियों का विभाजन हुआ, तब इस समुदाय को अनुसूचित जाती में वर्गीकृत किया गया, यह एक दलित समुदाय है, जिसे हम चमार या हरिजन नाम की जाती से पहचान कराते है.

क्या अपने कभी सुना है Chamaro Ka Itihas Kya Hai, चमार के बारे में इतिहास में क्यों लोगो के मन में यह धारणा बनी हुयी है की यह एक छोटी जाती है, क्या आप जानते है इस जाती का वर्चस्व क्या है, यह जाती हमारे भारत में कहा – कहा पाई जाती है, क्या वास्तव में ये बहुत पिछडी जाती है.
अगर आप जानने की उत्सुक हो इस जाती के इतिहास के बारे आज तो हम बताएँगे आप की चमार जाती क्या है और इसका इतिहास किया है, अगर आप इसमें रूचि रखते है तो आप यह जानने के लिए पोस्ट को पूरा जरुर पढ़े.

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Chamaro Ka Itihas Kya Hai ?
आप सभी बखुबी ही जानते है की यह समुदाय एक पिछड़ा हुआ है जो की भारत के कई राज्यों में यह जाती निवास करती है, इस समुदाय के लोग अनुसूचित जाती की श्रेणी में आते है,
जो की गरीबी रेखा के निचे माना गया है, इस जाती के लोग प्राचीन कल से मजदूरी जैसे चमड़े की वस्तु बनाना आदि कार्यो को करते आ रहे है, इस वजह से भी चमार समुदाय को अनुसूचित जाती की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है.
चमार जाती को प्राचीन समय से ही शुद्र समुदाय में डाला गया, और राजा महाराजाओ के समय से ही इस जाती को नीची जाती का दर्जा दिया गया और इनका शारीरिक तस्था मानसिक रूप से शोषण किया गया.
चमार जाती का व्यवसाय परम्परागत चमड़ो की वस्तु बनाना है, चमड़े की के व्यवसाय के चलते चमार जाती को अनुसूचित जाती के रूप में रखा गया.
एसा मन जाता है की चमार समुदाय के भारत पर अंग्रेंजों की हमले के पहले बहुत की आमिर हुआ करते थे परन्तु अंग्रेजों की हुकूमत के बाद चमार जाती का शुद्र जाती के रूप उपयोग किया गया और उनका शोषण भी किया.
जब अंग्रेजों से आजादी मिल गयी थी तब सभी अनुसूचित जातीयों तथा दलितों के उपर छुआ छुंत का भेद भाव होता रहा है, इससे निपटने के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर ने रोकने के लिए कई सक्त कानून बनाये थे,
इस समुदाय के लोगों की आर्थिक मनोदशा को देखते हुए डॉ .भीमराव आंबेडकर ने इनके लिए आर्थिक आरकक्षण बनाये जिससे चमार जाती में कई बदलाव देखने को मीले.
आप सभी जानते है की चमार जाती एक अनुसूचित जाती है, जो की भारत के सभी प्रान्तों में प्रचलित है, और चमार जाती की उपजातियां भी होती है. भारत में 50 उपजाती पाई जाती है, जैसे मोची, अहिरवार, कुनेर, जातव, दोहरे आदि.
आज के समय में देखा जाये तो चमार जाती कई गुना सभ्य और आर्थिक तहत मानसिक रूप से बेहतर है पहले के मुकाबले, चमार जाती चमड़े के कार्य के अलावा अन्य क्षेत्र में आगे बढता जा रहा है जैसे राजनितिक, शिक्षा, खेल,व्यापर आदि में पूर्ण रूप से अग्रसर है.
आप सभी जानते ही है की यह जाती को मध्य काल से ही छुआ छूत और अपवित्र जातियों में सुमार किया गया था. परन्तु समय के चलते बहुत सारे बदलाव होते गये
आज के समय में इस जाती की साथ मुस्किल से कही कही पर भेद भाव होते है, यह जाती के लोग हर प्रान्त तथा गाँव में रहते है भारत के सविधान के अनुसार इस जाती को अनुसूचित जाती में सुमार किया गया है,
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Chamar Jati Ka Riti Riwaj Aur Rahan Sahan?
चमार जाती का रहन सहन और रीती रिवाज की अगर हम बात करे तो यह मध्य काल से बहुत मेहनती थे पहले चमार जाती के लोगो का रहन सहन और खान पान बहुत समान्य हुआ करता था
वे मध्यकाल से बहुत मेहनती रहे है और गरीबी रेखा से निचे आती है यह जाती लेकिन आज के समय में देखा जाये तो इस जाती में काफी सुधार देखने को मिल रहा है, साथ ही इस जाती के लोग शिक्षित भी हुए है
ये सब डॉ.भीमराव आंबेडकर जी के योगदान से सम्भव हुआ है जो की आज इस जाती में इतना भेद भाव नही देखा जाता.
Chamaro Ka Itihas Janak Kaun Hai?
मध्य कल से ही एसा मन जाता है की चमार जाती की उत्पति के जनक संत रविदास जी को माना जाता है और ये कहाँ तक सच है यह अभी तक कोई पता नही लगा पाया है
वास्तव में चमार जाती कहाँ से उपन्न हुयी है, पर चमार जाती में भी कई छोटी –छोटी अनुसूचित जातियां भी है जो की चमार जाती से सम्बन्ध रखती है वही से इस जाती ने एक विशाल वर्चस्व बनाया और फिर इस जाती के लोग बड़ते गये और यह जाती बड़ी होती गयी,इस जाती को हम चमार जाती के नाम से जानते है जो की एक अनुसूचित जाती है.
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Note: यह आर्टिकल सिर्फ लोगो को जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा गया है, हमारा उद्देश्य किसी जाती, धर्म या व्यक्ति एवं समुदाय को ठेस पहुचाना नहीं है. यह आर्टिकल विद्यार्थियों की मांग पर उन्हें जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा गया है.
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