दोल ग्यारस या वामन एकादसी क्या है,DolGyaras Ekadasi की पूजन विधि,महत्व

Dol Gyaras Ya Vaman Ekadasi Kya Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस क्या है,
ग्यारस का हिंदू धर्म मे बहुत मान्यता है, कहते है की एक ग्यारस की पूजा अनेक पापो को नाश कर देता है, ग्यारस हर महीने मे 2 बार आता है, यहा 15 दिन अंतराल मे आता है, जिसमे की चावल और मिट्टी के अंदर उगाई हुई चीज़े नही खाना चाहिए.यह व्रत बहुत कठिन होता है, अनेक लोग इस व्रत मे पानी भी नही पीते है.जैसे की डोल ग्यारस या वामन ग्यारस क्या होता है, जिस तरह एकादशी या ग्यारस होता है उसी प्रकार एक होता है डोल ग्यारस, जो भादो के माह मे आता है. इसे एक उत्सव की तरह मनाया जाता है.

दोल ग्यारस या वामन एकादसी क्या है

Dol Gyaras Ya Vaman Ekadasi Ki Pujan Vidhi Kya Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस की पूजा करने की क्या क्या विधि है
यह पूजा सभी जातियो मे नही होती है, परंतु जो लोग भी इस पूजा का पालन करते है, उसमे उनके कुछ नियम ओर रीति रिवाज़ होते है, सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है की इसमे हम कौन से भगवान की पूजा करते है, इस पूजा मे भगवान विष्णु पूजे जाते है.
इस पूजा मे भगवान जी को डोली मे बिठाकर कर झाकिया निकली जाती है.यह पूजा करते समय चावल , दही दान मे देना शुभ माना जाता है. भगवान जी का आसन फूलो से सजाया जाता है.
रात भर पूजा की जाती है. यह जन्माष्टमी की तरह मनाया जाता है, रात भर प्रभु की पूजा की जाती है.
इस पूजा को करने पापो का नाश होता है. इसमे भगवान श्री कृष्ण का बालक रूप मे शृंगार करके उन्हे डोली मे बिठाते है.अनेक बार जन्माष्टमी की पूजा नही हो पति है तो इस दिन पूजा करके जन्माष्टमी के पूजा का फल पा सकते है. भगवान सभी रूप मे होते है.

Dol Gyaras Ki Vrat Vidhi Kya Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस मे व्रत रखते समय कुछ विशेष बातो का ध्यान रखे, जैसे की व्रत मे पानी कम पीना चाहिए, और चावल और दही का सेवन ना करे, व्रत के एक दिन पहले से सभी घर के बर्तनो और घर की सफाई कर ले, क्योकि इस व्रत मे सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है. इस व्रत को सच्चे मन से करने पार भगवान सभी दुखो को दूर कर देते है, एवं अनेक पाप भी नष्ट हो जाते है.

Dol Gyaras Ki Kya Katha Hai 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस से जुड़ी कथाए, हिंदू पुराणो मे अनेक भगवानो , और हर पूजा से जुड़ी अनेक कथाए होती है, जिसमे हम देखते है की वामन ग्यारस से जुड़ी क्या कथा है,
कहा जाता है की, बलि नमक एक दानव था जो बहुत ही बलशाली था, जिसने अपने बल और पराक्रम से 3 लोको को अपना बना लिया था. बहुत ही अहंकारी और दानवीर था, परन्तु उसके अत्याचार से सभी लोग बहुत ही परेशान थे, तब विष्णु भगवान ने एक वामन का रूप धारण करके उससे उसका सबकुछ दान मे माँग लिया , दानव बलि विष्णु भक्त थे, तो उसकी भक्ति से खुश होकर विष्णु भगवान ने उसे एक प्रतिमा भेट की, तब से इसे वामन ग्यारस के नाम से जाना जाता है.  और कहा जाता है की इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप को पूजा जाता है और उन्हे डोली मे यात्रा करवाते है, इसलिए डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है. पुराणो मे यह भी लिखा है, की यही बात युधीष्टिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था की परिवर्तनी ग्यारस क्या है और क्यो करते है?
तब श्री कृष्णा ने उन्हे कहा की इस दिन विष्णु जी ने अपने सोने के स्थान से करवट बदला था इसलिए इसे परिवर्तनी ग्यारस कहते है.

इस तरह अनेक कथाए है और नियम है ,जिनका पालन करना हिंदू धर्म का कर्तव्या है. हिंदूयो मे सबसे ज़्यादा भगवान और उनकी पूजा होती है, हर एक पूजा का अपना महत्व है और अपना नियम और विधि होती है.और भी कहा जाता है की इस दिन माता यशोदा ने बाल कृष्णा को पहली बार सूरज देव के दर्शन करवा कर नये कपड़े पहनाए थे, इसलिए इस दिन सूरज देवता की भी पूजा होती है. इस दिन मंदिरो मे बड़ी चहेल पहेल होती है, पूरे मंदिर को बहुत ही सुंदरता से सजाया जाता है, झाकिया तैयार की जाती है. इस दिन का बड़ा महत्व होता है.

Dol Gyaras Ke Kya Mahatva Hain 

डोल ग्यारस या वामन ग्यारस का बहुत की महत्व होता है. इस दिन तीन देव की पूजा होती है, अर्थात् तीन देवो का आशीर्वाद मिलता है, जिसमे हम श्री कृष्ण के बाल रूप को पूजते है, विष्णु देव की पूजा होती है एवं सूर्य देव को भी पूजा जाता है.
श्री कृष्ण कहते है युधीष्टिर से यह व्रत करने से मानव जाती का उद्धार होता है, सभी कष्ट दूर होते है एवं पापो से छुटकारा मिलता है. इस दिन ढोल नगाडो से नाच गाना होता है. यह पूजा उन क्षेत्रो मे होता है जहा पर नादिया होती इस दिन नदियो की पूजा भी की जाती है.पूजा अगर सच्चे मान से किया जाता से है तो हर एक पूजा और व्रत का महत्व होता है. यह पूजा भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है और सभी ग्यारस से सबसे महत्वपूर्ण है.

Dol Gyaras Ko Ganesh Visharjan Kyu Kiya Jata Hai 

यह दिन बहुत ही शुभ दीनो मे से एक होता है , इस दिन के व्रत को बहुत उपकारी माना जाता है. इस व्रत को करते समय अन्न का ग्रहण नही करना चाहिए, और दिन मे सिफ एक बार फलाहार करना चाहिए. इस व्रटा मे भगवान की पूजा करते समय पूजन सामग्री का ध्यान रखना चाहिए, पूजा मे धूप, फूल, चंदन और भी महत्वपूर्ण सामग्री पूरे रहे यह बात का ध्यान रखे. यह पूजा सुख, शांति, धन, स्‍वास्थ की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस दिन गणेश का विसर्जन होता है, गणेश विसर्जन से गणेश चतुर्थी तक यह ग्यारस का महुर्त होता है. यह दिन साल मे एक बार आता है और भगवान विष्णु जी सोते हुए करवट बदलते है. हिंदू पौराणिक कथाओ के अनुसार यह दिन बहोट शुभ होता है, इस दिन सभी भगवानो की पूजा की जाती है एवं मन खुश रहता है, एवं कुछ व्र्त कथाए सुनाई जाती है. जिसे सभी साथ मिलकर सुनते है.

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