Durga Puja की विधि- दुर्गा पूजा के बारे में,Time,Date,महत्व
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Durga Puja
दुर्गा पूजा, हर साल दुर्गा पूजा अलग अलग समय पर मनाया जाता है, यह पंचांग के अनुसार दुर्गा पूजा की तिथि निर्धारित होती है. दुर्गा पूजा के अनेक नियम होते है, कोई भी नियम मे किसी प्रकार का चूक नही होना चाहिए, हर नियम का पालन विधि पूर्वक होना चाहिए.मा दुर्गा से जुड़े अनेक कहानिया हिंदू पुराणो मे लिखा हुआ है. मा दुर्गा , पार्वती माता का ही एक रूप है, बुराइयो का नाश करने के लिए यह रूप धारण किया था. मा दुर्गा की पूजा 10 दिन तक किया जाता है, अलग अलग जाति के लोग अलग अलग तरह से विधिवत पूजा करते है. मा दुर्गा के पूजा को नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसे नवरात्रि क्यो कहते है, क्योकि माता के 9 रूप होते है, और 9 दिन , सभी 9 रूपो की पूजा होती है. और दसवे दिन को दशहरा कहते है, जिस दिन माता को विदा किया जाता है.

Durga Puja Ke Bare Mein
दुर्गा पूजा, जिसे दुर्गोत्सव या शारोदोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न होने वाला एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो हिंदू देवी दुर्गा का सम्मान करता है और उन्हें श्रद्धांजलि देता है और महिषासुर पर दुर्गा की जीत के कारण भी मनाया जाता है।
Durga Puja Ki Vidhi kya hai
दुर्गा पूजा की विधि-
पूजा हमेशा विधिवत तरीके से किया जाना चाहिए, अब पूजा करने के लिए अनेक नियम और विधि होते है, जो की पंडित जी द्वारा मंत्र उच्चारण से पूरे होते है, अब अलग अलग जगह अलग अलग नियमो से पूजा करते करते है, अनेक लोग अपने घरो मे भी नवरात्रि मे माता दुर्गा की पूजा करते है.
नियमो मे सबसे पहले जहा माता का आसन होता है, वहा पर गेहू और धान को मिट्टी के कलश मे मिट्टी भरकर उसमे उगाते है. उस कलश को 9 दिन तक माता के साथ रखते है.
पहले दिन जब माता को लाया जाता है, तब माता के आसान को फूलो से सजाते है, आसन मे लाइट जलते रहते है, घी ओर तेल के दीये जलते रहते है, पंडित जी द्वारा मंत्र पाठ होता है, फलो और मिठाइयो के भोग चढ़ाए जाते है.
नवरात्रि के समय रात गरबा खेला जाता है, जिसमे सभी महीलाओ, पुरुष, बच्चे सभी लोग आनंदित होकर गरबा खेलते है, जिसमे गरबा खेलने के लिया अलग से पंडाल बने होते है. सभी लोग सुंदर कपड़े पहनकर खेलते है. गुजरात राज्य मे गरबा बहुत धूम धाम से खेला जाता है. गरबा खेलने के लिए अलग वेश भूषा होती है.
Durga Puja Kab Hota Hai
भारत में दुर्गा पूजा कब शुरू होगी
शनिवार, 1 अक्टूबर
और समाप्त होता है
बुधवार, 5 अक्टूबर
Durga Puja Ke Dino Ke Naam kya hain
दुर्गा पूजा साल मे दो बार मनाया जाता है, कहते है की एक पूजा भगवान राम के द्वारा शुरू की गयी थी और दूसरी पूजा पराक्रमी रावण के द्वारा शुरू हुई थी. दोनो ही पूजा हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण है. मा दुर्गा के 9 रूप होते है जिस कारण उन्हे नव दुर्गा के नाम से भी जाना है.
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री रूपों का पूजन और अर्चन किया जाता है.
शैलीपुत्री – जब सती ने आग मे कूदकर अपनी जान दी थी उसके बाद , माता सती ने एक मनुष्य के घर मे बेटी के रूप मे जन्म लिया था , उनके जो पिता थे वह हिमालया पर्वत के राजा थे, तो पर्वत राजा की पुत्री होने से उन्हे शैलीपुत्री कहा जाता है.
ब्रह्मचारिणी – मा दुर्गा वैरग्य और तपस्या का रूप है, इसलिए उन्हे ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा जाता है.
चंद्रघनटा- यह नाम माता के विवाह के बाद उन्हे दिया गया , इसमे शिव जी के साथ विवाह के बाद उनके माथे मे आधा चंद्र और घंटी जैसा आकर देकर उन्हे सजाया गया था. तब से माता को चंद्रघनटा के नाम से जाता है.
कूशमंदा– माता ,सूर्या मे जाकर रहने लगी , और सूर्य से प्रकाश को चारो ओर फैलने लगी, माता , सूर्य के तेज़ गर्मी मे भी निवास कर सकती है, यह देखकर उनका नाम कूशमंदा पड़ा.
स्कंदमाता – इनकी पूजा नवरात्रि के पाचवे दिन मे किया जाता है. दुष्ट शक्तियो का नाश करने और साधु , देवताओ को बचाने के लिए माता ने एक साध्वी के रूप मे जन्म लिया. और उनका नाम स्कंदमाता पड़ा.
कालरात्रि – इनकी पूजा सातवे दिन मे की जाती है, यह रूप माता का बहुत ही गुस्से वाला है,जिसमे माता सब सुख, दुख, अच्छाई ,बुराई भूलकर एक साथ असुरो के नाश मे लगी रहती है.
महगौरी – महगौरी – माता सुख ,शांति ओर शुद्धता का प्रतीक है, और माता की सुंदरता और गोरे रंग के कारण उन्हे महगौरी कहा जाता है.
सिद्धीधात्री – माता ने भगवान रुद्रा की तपस्या से खुश होकर उन्हे सिद्धीधात्री के रूप मे दर्शन दिए थे.
Durga Puja parb in Kolkata Bangal
कोलकाता मे दुर्गा पूजा का बहुत ही बड़ा उत्सव मनाया जाता है, पश्चिम बंगाल मे कोलकाता मे सबसे धूमधाम से पूजा किया जाता है , यह अपर नियम ओर विधि भी सभी से अलग होती है.
Durga Puja Ke Mehatva kya hain
दुर्गा पूजा का अनेक महत्व है, इस दिन मा दुर्गा महेशासुर का वध करके अपने मायके जाती है, महेशासुर एक असुर था, जिसे भगवान विष्णु ने वरदान दिया था, महेशासुर ने अपनी तपस्या से भगवान विष्णु जी को खुश किया जब विष्णु जी ने उसे दर्शन दिए और वर माँगने के लिए तो उसने अमर होने का वरदान माँगा पर विष्णु जी ने उसे मना कर दिया और इस वरदान के बदले मे कहा की महेशासुर का वध किसी महिला के हाथ से होगा, यह वर पाकर वह खुश होकर यह सोचने लगा की वह इतना बलशाली है, कोई महिला मे इतनी ताक़त कहा है जो उसे मार सके, परन्तु जब उसका अत्याचार लोगो मे बढ़ने लगा तब माता दुर्गा के हाथो उसका वध हुआ.
Durga Puja Ke Tarikh Ko Hai
शनिवार, 1 अक्टूबर
और समाप्त होता है
बुधवार, 5 अक्टूबर
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