Ultrasound से क्या होता है – अल्ट्रासाउंड कैसे करते हैं, अल्ट्रासाउंड के नुकसान
आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की Ultrasound Se Kya Hota Hai और Ultrasound Kaise Karte Hai इसके साथ ही जानेंगे की अल्ट्रासाउंड क्या होता है और अल्ट्रासाउंड के नुकसान क्या है.

साथ ही हम पोस्ट में जानेंगे की अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी में क्या अंतर है और अल्ट्रासाउंड कितने का होता है. हम इन सबके बारे में इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे.

Contents
- 1 Ultrasound Se Kya Hota Hai
- 2 Ultrasound Kaise Karte Hai | Ultrasound Kaise Kiya Jata Hai
- 3 Ultrasound Kya Hota Hai
- 4 Ultrasound Ke Nuksan
- 5 अल्ट्रासाउंड में लड़के की पहचान
- 6 अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी में क्या अंतर है
- 7 Ultrasound – FAQs
- 8 Ultrasound Kaise Hota Hai
- 9 Ultrasound Kitne Ka Hota Hai
- 10 Ultrasound Ke Bare Mein Bataiye
- 11 Ultrasound Ki Khoj Kisne Ki
- 12 Ultrasound Ke Liye Course
- 13 अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में बीपीडी क्या है
- 14 क्या अल्ट्रासाउंड खाली पेट होता है
Ultrasound Se Kya Hota Hai
अल्ट्रासाउंड तकनीक एक ऐसी तकनीक होती है जिसकी मदद से शरीर के किसी भी अंग की किसी भी प्रकार की बीमारी का पता लगाना बहुत आसान होता है. यह तकनीक किसी भी तरह की बीमारी हो, उसका बिलकुल सही एवं सटीक पता बताती है.
इस तकनीक की मदद से न केवल पेट से जुडी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है बल्कि भ्रूण लिंग का भी पता लगाया जा सकता है हालाँकि यह अब गैरकानूनी है. इसकी मदद से गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत का पता लगाया जा सकता है और अगर गर्भ में कुछ समस्यां होती है तब नियम अनुसार गर्भपात भी किया जा सकता है.
Ultrasound Kaise Karte Hai | Ultrasound Kaise Kiya Jata Hai
किसी गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड स्कैन करते वक़्त इस मशीन से हाई फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगे निकलती है जिसे महिला के पेट से गर्भाशय में भेजा जाता है. ये तरंग गर्भाशय में जाकर आपके शिशु को छू कर आती है और कंप्यूटर की स्क्रीन पर इन तरंगो को तस्वीर के रूप में दिखाती है.
जिससे हम गर्भ में क्या हो रहा है, शिशु और माता को कोई दिक्कत तो नहीं है, इन सभी चीजो का पता लगा सकते है.
Ultrasound Kya Hota Hai
अल्ट्रासाउंड एक ऐसी तकनीक होती है जिसमे उच्च आवृति (high frequency) वाली ध्वनि तरंगे निकलती है जो शरीर के अन्दर के हिस्सों को छू कर या टकराकर उनका चित्र बनाकर हमें स्क्रीन पर दिखाती है.
यह तकनीक पूरी तरह सुरक्षित होती है क्योकि इसमें विकिरणों (radiation) की जगह पर ध्वनि तरंगे प्रयोग होती है. यह गर्भावस्था में गर्भ का पता लगाने के अलावा, शरीर के अन्य हिस्सों जैसे दिल, लीवर, किडनी और पेट सम्बंधित बिमारियों की जांच में भी उपयोगी है.
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Ultrasound Ke Nuksan
अल्ट्रासाउंड तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल से आपके शरीर को कुछ नुकसान भी हो सकते है जिनमे से कुछ नुकसान निम्न है:
- अल्ट्रासाउंड तकनीक के अधिक इस्तेमाल से कैंसर एवं ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा बड़ जाता है.
- गर्भ का ज्यादा अल्ट्रासाउंड करवाने से शिशु के दिमाग के विकास पर बुरा असर पड़ता है.
- भ्रूण लिंग की जाँच करवाना गैरकानूनी है, पर फिर भी कुछ लोग ज्यादा पैसे देकर इस तकनीक का गलत इस्तेमाल करते है.
अल्ट्रासाउंड में लड़के की पहचान
अल्ट्रासाउंड तकनीक का इस्तेमाल करके भ्रूण लिंग का पता लगाया जा सकता है. गर्भ के दौरान 12 से 13 हफ्तों तक, शिशु के पैरो के बीच में एक जननांग होता है, जिसे नब कहते है. यह नब ही लिंग का पता लगाने में सहायक होती है.
इस तकनीक में लड़के की पहचान के लिए आपको सिर्फ कुछ मेजरमेंट का ध्यान रखना होता है. अगर नब का एंगल (कोण) रीड की हड्डी से 30 डिग्री ज्यादा बनता है तो यह लड़का होने का संकेत होता है. ठीक उसी प्रकार नब का एंगल रीड की हड्डी से 30 डिग्री से कम बनता है तो यह लड़की होने का संकेत होता है.
अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी में क्या अंतर है
अल्ट्रासाउंड तकनीक एक तरह से सोनोग्राफी ही होती है पर उसमे कुछ अंतर होता है जैसे कुछ बीमारियाँ सोनोग्राफी में भी डिटेक्ट नहीं हो पाती अर्थात उनका पता नहीं चल पाता, तब डॉक्टर अल्ट्रासाउंड मतलब USG का उपयोग करते है.
इसमें पूरी प्रक्रिया सोनोग्राफी जैसी होती है परन्तु इसमें ध्वनि की मदद से बीमारी का पता लगाया जाता है जो सोनोग्राफी में पता नहीं चल पाई थी. ध्वनि की मदद से जो बीमारी पता नहीं चली है उसका भी पता लगाया जा सकता है.
Ultrasound – FAQs
Ultrasound Kaise Hota Hai
अल्ट्रासाउंड से तेज आवृति की ध्वनि उत्पन होती है जो तरंगो के माध्यम से शरीर के अन्दर जाती है और उन अंगो से टकराकर उनकी तस्वीर बनाकर मॉनिटर पर बताती है.
Ultrasound Kitne Ka Hota Hai
अल्ट्रासाउंड की कीमत लगभग 500 रुपये के आसपास हो सकती है. अन्य अस्पतालों में यह फीस कम या ज्यादा हो सकती है.
Ultrasound Ke Bare Mein Bataiye
अल्ट्रासाउंड ऐसी तकनीक होती है जिसकी मदद से हम पेट से सम्बंधित बिमारियों, गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति एवं अन्य बिमारियों का भी पता लगा सकते है. इससे उच्च आवृति की ध्वनियाँ निकलती है जो हमारे शरीर के आन्तरिक अंगो को छू कर बाहर उसका चित्र बताती है.
Ultrasound Ki Khoj Kisne Ki
अल्ट्रासाउंड तकनीक की खोज ऑस्ट्रेलिया (एडिलेड) के वैज्ञानिक गिलब्रट टोयने ने 1926 में की थी.
Ultrasound Ke Liye Course
अल्ट्रासाउंड करने के लिए आपको रेडियोलॉजी पैरामेडिकल का कोर्स करना पड़ता है क्योकि अल्ट्रासाउंड, x-ray, MRI, सिटी स्कैन आदि का अध्ययन इसी कोर्स में कराया जाता है.
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में बीपीडी क्या है
अल्ट्रासाउंड तकनीक में जहाँ भ्रूण लिंग से सम्बंधित जानकारी व उसके स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है वहीँ बीपीडी का उपयोग भ्रूण के वजन, गर्भावस्था की उम्र आदि का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
क्या अल्ट्रासाउंड खाली पेट होता है
अगर गर्भवती महिला सोनोग्राफी करवाने जाती है तो उन्हें हल्का नाश्ता करके जाने की सलाह दी जाती है वही अगर कोई महिला जो गर्भवती नहीं है वह खाली पेट आये या केवल पानी पी कर आ सकती है.
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