Mrida क्या है, जाने भारत में पाई जाने #6 प्रकार के मृदा की जानकारी
आज हम आपको इस Article की मदद से बताएंगे Mrida Kya Hai और Mrida Ke Prakar.
साथ ही हम आपको मृदा से जुड़े और भी सवालों के जवाब देंगे. जैसे कि Mrida Kise Kahate Hain, Mrida Kaise Banti Hai इत्यादि की पूरी जानकारी विस्तार में जानेंगे.
Mrida Kya Hai
पृथ्वी की सतह पर मौजूद छोटे-छोटे दाने-दार कणों की पतली परत को मृदा कहते हैं. इसे हिंदी में मिट्टी एवं अंग्रेजी में Soil कहा जाता है. पृथ्वी पर इसका निर्माण चट्टानों के टूटने से होता है. यह कई ठोस, तरल, गैसीय पदार्थों का मिश्रण है जो पृथ्वी पर सबसे ऊपरी सतह पर पाई जाती है.
मृदा खेती के लिए अमूल्य Heritage है. देश के आर्थिक विकास का प्रमुख आधार मिट्टी होती है. इसमें उपयुक्त जलवायु मिलने पर नाना प्रकार की वनस्पतियाँ उगाई जाती है.
मानव जीवन में मृदा का बहुत महत्व है. समस्त मानव जीवन मिट्टी पर निर्भर करता है, इससे ही भोजन, कपड़ों के निर्माण में कपास रेशम, जूट, ऊन प्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से प्राप्त होते है.
भारत में मृदा के प्रकार
1. जलोढ़ मिट्टी: जलोढ़ को काँप, Loam, कछारी या चीका मिट्टी कहा जाता है. इसका निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाए गए अवसाद के जमाव से होता है. यह हल्के भूरे रंग की होती है जो जमीन से 490 मीटर की गहराई में पाई जाती है.
इसमें नेत्रजन, Phosphorus, Vegetation इत्यादि अंशों की कमी होती है. लेकिन Potash और चूना पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. भारत जनसंख्या की खाद्यान्न तथा Industrial कृषि उपजें इस मिट्टी की देन है.
2. काली या रेगड़ मिट्टी: इसे रेगड़ या कपास वाली काली मिट्टी कहते है. इसका रंग गहरा काला एवं इसके कणों की बनावट बारीक व घने होते है. इसकी रचना बहुत ही बारीक मृतिका के पदार्थों से होती है इसलिए इसमें ज्यादा समय तक नमी बनी रहती है.
यह मिट्टी भारत के गुजरात से अमरकंटक और बेलगांव से गुना में पाई जाती है. काली या रेगड़ मिट्टी कई जगहों जैसे कि महाराष्ट्र के विदर्भ, खानदेश एवं मराठवाड़ा, मध्यप्रदेश में, उड़ीसा के दक्षिण भाग, कर्नाटक के उत्तरी जिलों इत्यादि में मिलती है.
3. लाल मिट्टी : यह मिट्टी सुखी और नम जलवायु में प्राचीन रवेदार-दानेदार होती है जो परिवर्तित चट्टानों के टूट-फूट से बनती है. इसका रंग लाल, पीली, भूरा इत्यादि होता है. इसमें लौह-अयस्क की मात्रा ज्यादा होने के कारण यह लाल दिखती है.
ताप्ती नदी, घाटी में पहाड़ियों के ढ़ालो पर लगातार गर्मी पड़ने से जब चट्टान टूटती है, तो उसमें मौजूद लोहा मिट्टी में मिल जाता है जिससे इसका रंग लाल हो जाता है. लाल मिट्टी अनेक प्रकार की चट्टानों से मिलकर बनी होने की वजह से उर्वरा शक्ति में भिन्नता पाई जाती है.
4. लैटेराइट मिट्टी : इसका निर्माण शुष्क व तर मौसम से होता है जोकि लैटेराइट चट्टानों की टूट फूट से बनती है. इसमें लोहा Oxide और Potash की मात्रा अधिक होती है. यह मिट्टी तीन प्रकार की होती है गहरी लाल लैटेराइट मिट्टी, सफेद लैटेराइट मिट्टी, गहरी जल वाली लैटेराइट मिट्टी.
लैटेराइट मिट्टी तमिलनाडु के पहाड़ी भागों एवं निचले क्षेत्रों, कर्नाटक के कुर्ग जिले, केरल राज्य के चौड़े समुद्री तट, महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले, पश्चिम बंगाल के बेसाल्ट इत्यादि घाटियों में मिलती है. यह चावल, कपास, गेहूँ, दाल, मोटे अनाज आदि फसलों के लिए उपयोगी होती है.
5. मरूस्थलीय मिट्टी : इसे मिट्टी में बालू के छोटे- मोटे कण होते है. मरूस्थलीय मिट्टी दक्षिण-पश्चिम मानसून के जरिए कच्छ के रन से उड़कर भारत के पश्चिमी शुष्क प्रदेश में जमाव से बनती है. जिसमें खनिज, नमक की मात्रा ज्यादा होती है.
इसमें कम नमी के साथ वनस्पति के अंश भी कम होते है. लेकिन इसे सिंचाई करके उपजाऊ बनाया जा सकता है. इसमें गेहूँ, गन्ना, कपास, ज्वार, बाजरा, सब्जियां इत्यादि की खेती की जाती है.
यह मिट्टी शुष्क प्रदेशों जैसे पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, दक्षिण पंजाब, दक्षिणी हरियाणा आदि में पाई जाती है.
6. पर्वतीय मिट्टी : यह मिट्टी भारत के हिमालय की पर्वत श्रेणियों पर पाई जाती है जोकि पतली, दलदली और छिद्रमयी किशम की होती है. यह नदियों की घाटियों एवं पहाड़ी ढ़ालों पर अधिक गहरी होती है. पर्वत श्रेणियों का अधिक खड़ा होने के कारण इसका जमाव ज्यादा नही होता है.
Mountain Slopes के तलहटी जगहों में Tertiary Period मिट्टी पाई जाती है जो दिखने में हल्की बलुई, छिछली, छिद्रमय एवं कम वनस्पति अंश की होती है. ढ़ालों पर बलुई मिट्टी एवं मध्य हिमालय के क्षेत्र में ज्यादा वनस्पति अंशों वाली उपजाऊ मिट्टी मिलती है.
अच्छी वर्षा होने पर इसमें दून एवं कांगड़ा घाटी में चाय पैदावार के लिए अच्छी होती है.
पृथ्वी की ऊपरी सतह पर जमे मोटे एवं बारीक कणों को मृदा कहते है. मृदा को मिट्टी या Soil कहा जाता है.
हवा, पानी, बारिश और जलवायु के कारण से चट्टानों के टूटने से मृदा बनती है. पत्थरों के छोटे- छोटे कणों और Humus का मिश्रण मिलकर मृदा का निर्माण करते है. मिट्टी का निर्माण दो कारणों से होता है.
अगर आपको Mrida Kya Hai पोस्ट पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.
अगर आपके मन में कोई सवाल है तो आप Comment करके पूछ सकते हैं.
Questions Answered: (0)