Machis का आविष्कार किसने किया, जाने माचिस का 200 साल पुराना इतिहास
इस पोस्ट में हम जानेंगे Machis Ka Avishkar Kisne Kiya और Machis Kaise Banti Hai.
साथ ही जानेंगे माचिस में क्या होता है, माचिस की तीली किस पेड़ से बनती है, माचिस की डिब्बी/ बम कैसे बनाए इत्यादि की पूरी जानकारी विस्तार में जानेंगे.
Machis Ka Avishkar Kisne Kiya
माचिस का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक का नाम John Walker है, इन्होंने 31 दिसंबर 1827 में सबसे पहले पत्थर को रगड़ने से जलाई जाने वाली आग को बदलकर ऐसी तीली बनाई, जिसे कहीं भी खुरदरी जगह पर रगड़ने से वह जल उठती थी.
Machis Ki Khoj Kisne Ki
माचिस की खोज John Walker नाम के एक जर्मन वैज्ञानिक ने की थी. वह 1826 से माचिस की खोज में लग गए थे.
Machis Kaise Banti Hai
1. सबसे पहले, एक कठोर लकड़ी के टुकड़े बनाए जाते हैं, जो माचिस की आधी लकड़ी होती है.
2. फिर उस कठोर तने के टुकड़े को विशेष आकार में काटा जाता है, जिससे यह आग पैदा करने के लिए सजीला बन सके.
3. अब लकड़ी में आग पैदा करने के लिए Phosphorous के टुकड़े डाले जाते हैं, जिन्हें अविकल्प बनाया जाता है.
4. Phosphorous के टुकड़े लकड़ी के टुकड़ों के बीच में डाले जाते हैं और फिर उन्हें Parafin की सलाखों में लपेट दिया जाता है.
5. अब उचित Size के Cylinders में माचिस बनाने के उपकरण को डाला जाता है.
6. सिलिंडर के बचे हुए हिस्से को बड़े टुकड़ों में काट दिया जाता है, जिससे छोटे माचिस के टुकड़े बन जाते हैं.
7. फिर छोटे माचिस के टुकड़े को Concentration से तैयार किया जाता है ताकि वे आसानी से आग पकड़ सकें.
8. इस के बाद इन टुकड़ों को सामान्यत: पेपर में लपेटकर Pack किया जाता है और बेचने के लिए भेज दिया जाता है.
Machis Ki Tili Ka Ped
माचिस बनाने के लिए Red Sandalwood पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Santalum Album है. यह एक प्रमुख Musician Tree है. इसकी Woods का उपयोग खुदाई, Food and Drink, औषधियों इत्यादि में किया जाता है. इस लकड़ी के रेतीले अंश Whole World में प्रतिष्ठित हैं.
इनका उपयोग खुदाई, गंध, औषधियाँ, सौंदर्य Products इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है.
Machis Mei Konsa Chemical Istemal Hota Hai
माचिस में आमतौर पर Phosphorous एवं Sulfur का मिश्रण होता है जिससे आग पैदा की जाती है.
माचिस का आविष्कार जॉन वॉकर नाम के एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने की थी| यह आविष्कार 31 दिसंबर 1827 में किया गया था.
माचिस की डिब्बी पर Red Phosphorus लगा होता है तथा माचिस की तिली पर मुख्य रूप से Potassium Chlorate होता है.
माचिस बाजार में एक रुपये में एक मिलती है.
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