आग का अविष्कार किसने किया – आग से होने वाले फायदे और नुक्सान
इस Article की मदद से हम जानेंगे की Aag Ka Avishkar Kisne Kiya और Aag Bujhane Wali Gas की पूरी जानकारी इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे.

तो चलिए शुरू करते है Aag Ka Avishkar Kisne Kiya पढने से….
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Aag Ka Avishkar Kisne Kiya
यह माना जाता है की आदिमानव ने ही आग की खोज की होगी आदिमानव के काल में पत्थरों को रगड़ने से आग की उत्पत्ति हुई थी, ये काल आधुनिक काल से 25-20 लाख साल पूर्व से लेकर 12,000 साल पूर्व तक का माना जाता है.
आग के इस्तेमाल को लेकर कब, क्यों, कहां और कैसे के जवाब तो मिल गए है लेकिन, आग की खोज इंसान की किस पीढ़ी ने की ये अभी भी समझ पाना मुश्किल है, हालांकि माना तो यही जाता है कि आग की खोज इंसानों ने की थी इंसान को बाकी प्रजातियों से अलग करने वाले पहलुओं में एक पहलू आग का अविष्भीकार भी है.
लेकिन जीव वैज्ञानिकों का यह दावा है कि आग का इस्तेमाल करने की समझ चिम्पैंजी, डॉल्फिन और कई तरह के पक्षियों में भी होती है. आग की वजह से ही उसने खाना पका कर खाना सीखा और खुद को कड़ाके की ठंड से बचाया है. ख़तरों से महफ़ूज़ रहने के लिए भी उसने आग का इस्तेमाल किया था. आज भी आग के बिना ज़िंदगी की कल्पना करना मुश्किल है
एक खोज में खुदाई से कुछ अवशेष मिले थे, वैज्ञानिको का मानना है की ये अवशेष क़रीब दस लाख साल पुराने हैं. इससे यह पता चलता है कि उस दौर के इंसान ने आग पर क़ाबू करना सीख लिया था.
Aag Kise Kahate Hain
आग एक दहनशील पदार्थों का तीव्र ऑक्सीकरण है, जिससे उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक क्रिया के भावों को नष्ट करने वाला उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और जल उत्पन्न होते है. ऑक्सीकरण से उत्पन्न गैस आयनीकृत होकर जीव द्रव्य पैदा करते है.
दहनशील पदार्थ पर्याप्त ऑक्सीजन की उपस्थिति में जब पर्याप्त उष्मा, जो श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम होती है, उसके संपर्क में आता है तो आग पैदा होती है इनमें से किसी भी एक की अनुपस्थिति से आग पैदा नहीं होती.
अगर आग एक बार जल जाती है तो जब तक ऑक्सीजन और दहनशील पदार्थ की उपस्थिति बनी रहती है तब तक वह जलती और फैलती रहती है. आग को ऑक्सीजन और ईंधन में से किसी एक को अलग करने पर ही बुझाया जा सकता है.
आग पर पानी की पर्याप्त बौछार पड़ती है तो ईंधन को ऑक्सीजन की उपस्थिति में रूकावट होने लगती है और आग बुझ जाती है. आग को कार्बन-डाइऑक्साइड की मदद से भी बुझाया जा सकता है जंगल की आग बुझाने के लिए मुख्य ज्वाला से दूर छोटी छोटी ज्वाला पैदा कर ईंधन की आपूर्ति बंद की जाती है ताकि भीषण आग पर काबू पाया जा सके.
Aag Ki Khoj Kab Hui Thi
1.7 से 2.0 मिलियन वर्ष पूर्व होमो रेंज के एक सदस्य ने आग पर नियंत्रण के निश्चित प्रमाण के दावा किया है. लगभग 1 मिलियन वर्ष पहले होमो इरेक्टस द्वारा आग के नियंत्रित उपयोग के रूप में लकड़ी की राख के सूक्ष्म निशान के सबूतों को व्यापक विद्वानों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है.
आदिमानव ने पत्थरों के टकराने से उत्पन्न चिंगारियाँ को देखा होगा अधिकांश विद्वानों का मत है कि मनुष्य ने सर्वप्रथम कड़े पत्थरों की एक-दूसरे आपस में रगड़ कर आग उत्पन्न की होगी.
रगड़ने की विधि से आग बाद में निकली होगी पहले पत्थरों के हथियार बन चुके होंगे बाद में हथियारों को सुडौल, चमकीला और तीव्र करने के लिए रगड़ा होगा रगड़ने पर जो चिंगारी उत्पन्न हुई होंगी उसी से आदिमानव ने आग उत्पन्न करने की घर्षण विधि कहा होगा.
Aag Bujhane Wali Gas
आग बुझाने वाली गैस कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है कार्बन डाई आक्साइड गैस बिजली, कंप्यूटर से लगने वाली आग को बुझाने में मदद करती है, आग 3 चीजों पर निर्भर करती है एक तो यह की जहां आग लगी है, वह मैटीरियल कैसा है, दूसरा तापमान उसके अनुकूल है या नही तीसरा यह की हवा इसके लिए जरूरी है.
कार्बन डाई आक्साइड गैस का छिड़काव ज्यादातर बंद कमरों में होता है यह गैस वहां पर मौजूद थोड़ी बहुत हवा को खत्म कर देती है जिससे वह आग से हवा का संपर्क तोड़ देती है और आग बुझ जाती है.
Aag Se Jala Hua Hath
आग से जलना तिन अलग अलग प्रकार की बात है:
जब शरीर का कोई हिस्सा कम जलता है तो इसे फर्स्ट डिग्री बर्न यानि प्रथम श्रेणी का जलना कहते है, फर्स्ट डिग्री बर्न में चिकित्सीय उपचार की जरूरत तब तक नही होती जब तक कि जलन का असर कोशिकाओ के समूह पर न पड़ा हो.
सेकेंड डिग्री बर्न इसमें जले हुए भाग में सूजन और लालिमा आ जाती है अगर घाव तीन इंच से बड़ा हो या त्वचा की अंदरूनी परत तक हो गया हो तो डॉक्टर से परामर्श ले लेना चाहिए.
थर्ड डिग्री बर्न में त्वचा की तीनों परतों पर जलने का असर हो जाता है इससे त्वचा सफेद या काली और सुन्न पड़ जाती है, जले हुए स्थान के हेयर फॉलिकल, स्वेट ग्लैंड और तंत्रिकाओं के सिरे नष्ट हो जाते हैं इससे रक्त संचरण बाधित हो जाता है इसलिए इस समय घरेलु उपचारों को छोड़ कर डाक्टर के पास चले जाना चाहिए.
उपाये जिससे आपको राहत मिल सकती है:
- जले हुए स्थान पर आलू पीसकर लेप लगाने से शीतलता का अनुभव होगा.
- तुलसी के पत्तों का रस जले हुए हिस्से पर लगाने से दाग होने की संभावना कम होती है
- तिल को पीसकर लेप बनाइये और इसे लगायें इससे जलन और दर्द नही होगा और जलने वाले भाग पर पड़े दाग-धब्बे भी चले जाते है.
- गाय के घी का लेप करें या पीतल की थाली में सरसों का तेल व पानी को नीम की छाल के साथ मिलाकर मरहम बना कर भी लगा सकते है.
- गाजर को पीसकर लगाने से भी राहत मिलती है.
- जलने पर नारियल का तेल लगाएं जलन कम होगी.
Aag Barsane Wala Ped
आग बरसाने वाला पेड़ मलेशिया और अफ्रीका के जंगलों में पाया जाता है यह तमाल पत्र या Indian Bay Leaf के नाम से मशहूर तेजपात, Cinnamomum Tamala नाम के सदाहरित होता है. इसकी पत्तियां मध्यम आकर के वृक्ष के पत्ते जैसी होते है.
Aag Ka Samanarthi Shabd
आग के समानार्थी शब्द पावक, हुताशन, रोहिताश्व, उष्मा,अनल, अग्नि, दव, ज्वाला, दावानल, दावाग्नि, बाड़व, ताप, तपन, जलन, आतिश, पांचजन्य वहि आदि है.
Aag Ka Tatsam Roop
आग का तत्सम ‘अग्नि’ है तत्सम दो शब्दों से मिलकर बनता है तत + सम, जिसका अर्थ होता है उसके संस्कृत के समान जिन संस्कृत के मूल शब्दों को बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में वैसे की वैसे प्रयोग किया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते है.
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Aag Bujhane Wali Gadi
आग बुझाने वाली गाड़ी को फायर टेंडर कहते है, जिसमे अलग अलग प्रकार के संसाधन जैसे पानी, पंप, ड्राई केमिकल पाउडर , कार्बन दी ऑक्साइड और Fire Extinguisher होते है,आग बुझाने वाले पोर्टेबल मशीन को Fire Extinguisher कहते है.
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